tag:blogger.com,1999:blog-3231542331208500538.post2196939443593950300..comments2023-10-28T13:48:43.907+05:30Comments on ख्वाब का दर: शिक्षा का कुचक्र क्या सरकार को नहीं दिख रहा है?Pankaj Parasharhttp://www.blogger.com/profile/06831190515181164649noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3231542331208500538.post-13891979548015832222007-09-27T08:57:00.000+05:302007-09-27T08:57:00.000+05:30मुंबई के सिने संसार में लिखते हुए कभी - कभी तो लगत...मुंबई के सिने संसार में लिखते हुए कभी - कभी तो लगता है कि मैं भारत में नहीं कहीं बाहर हूँ किसी पराए देश में । भाषा का सवाल अब पीछे चूट गया सा लगता है। आपने अच्छा लिखा है...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3231542331208500538.post-81778983983803178752007-09-26T15:10:00.000+05:302007-09-26T15:10:00.000+05:30यहां मैं कुछ अपना संस्मरण आपसे बांटना चाहूंगा.मैं ...यहां मैं कुछ अपना संस्मरण आपसे बांटना चाहूंगा.<BR/><BR/>मैं भी कुछ ऐसे ही स्कूल से पढा हूं जहां छठी से अंग्रेजी की पढाई शुरू होती थी. पांचवीं कक्षा तक मैं कभी भी पहले स्थान से नीचे नहीं आया. पर जब मैं छठी में आया तो मुझे केंद्रिय विद्यालय में पढने के लिये भेज दिया गया जहां मुझे काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. और मैं घिसट-घिसट कर उत्तीर्ण होने लगा.<BR/><BR/>आज मैं अंग्रेजी के भय से बाहर आ चुका हूं, पर उससे बाहर निकलने में मुझे 15 साल से ज्यादा का समय लगा. आज मेरा व्यवसाय भाषा अंग्रेजी ही है, और मैं भारत के ऐसे प्रांत में रह रहा हूं जहां मुझे हर चीज के लिये अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ता है. पर मैं अपने कई ऐसे दोस्तों को भी जानता हूं जो अभी भी इससे उबर नहीं पायें हैं. और कहीं ना कहीं इसके लिये जिम्मेदार हमारी शिक्षा नीती ही है..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.com