कौन कहां पैदा होगा, किस जाति, किस घर में पैदा होगा यह किसी के वश में है क्या? लगता है यह बाल ठाकरे के वश में था कि वह मराठा कुल में पैदा होंगे और हर हाल में महाराष्ट्र में ही पैदा होंगे। शायद इसीलिए अपने भतीजे को एक समय बर्ड लू से ग्रस्त चूजा बतानेवाले बाल ठाकरे ने भी अंतत: वही भाषा बोलने लगे जिस भाषा के दम पर उन्होंने महाराष्ट्र में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। भारत का संविधान अपने अनुच्छेद 14 में प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार देता है। देश के किसी भी भाग में रहने और जीने का अधिकार देता है। फिर भारत के संविधान को अपनी रखैल समझनेवाला ठाकरे क्या इस देश के कानून और संविधान से भी बड़ा है? कभी आमची मुंबई और कभी मी मुंबईकर का खटराग अलापने वाले बाला साहब ठाकरे के सुभाषितों पर एक नजर डालिये-
1. दरअसल बिहारियों का भेजा ही सड़ा हुआ है।
2. बिहारी तो जिस थाली में खाते हैं, उसी में थूकते हैं।
3.बिहारी गोबर खाते हैं। आखिर वह गोबर के कीड़े हैं और गोबर में ही खुश रहते हैं।
4. बिहार नरक पुरी है, वहां के नेता पशुओं का चारा खा जाते हैं।
5. पंजाब में भी बिहारियों को पसंद नहीं किया जाता है।
अपने को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पहरुआ बताने वाले बाल (अब ये मत पूछिये कि कहां के बाल?) ठाकरे कभी मुसलमानों को देशद्रोही कहते हैं, कभी बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की बात करते हैं तो कभी हिंदूओं पर ही पिल पड़ते हैं। घृणा के ऐसे प्रचारकों से जिस तरह की राजनीति संभव हो सकती है वह देश के हाकिमों को शायद नहीं दीख रही है...और हम किसी राज्य विशेष में पैदा होने के अपराध में कभी असम में, कभी पंजाब में और अब महाराष्ट्र में मारे जा रहे हैं।
4 टिप्पणियां:
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ठाकरे जी ने क्या क्या कहा तो नहीं जानती , परन्तु वे काफी कुछ कह देते हैं , यह जानती हूँ । ऐसी बातों से आम नागरिक को तो केवल दुख व परेशानी मिलती है परन्तु उत्पाती लोगों को उत्पात मचाने का अवसर मिल जाता है ।
घुघूती बासूती
कहने दीजिए
kahane se kyA hotA hai
ठाकरे के बयान अफसोस जनक हैं.
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