मंगलवार, मई 06, 2008

घूमने के लिए आप पाकिस्तान नहीं जा सकते


दिल्ली की गर्मी से परेशान लोग घूमने की योजना बनाने लगे हैं। अखबार ट्रैवल एजेंटों के इश्तहारों से भरे पड़े हैं और रोज नई-नई लोक-लुभावन इश्तहारों से प्रभावित होकर लोग घूमने का कार्यक्रम बना रहे हैं। मैंने असगर वजाहत के नाटक जिस लाहौर नइ वेख्या ओ जम्या ही नइ से प्रभावित होकर सोचा कि दिल्ली से लाहौर नजदीक है, क्यों न इस बार लाहौर घूमा जाए? इसके लिए मैंने जब पाकिस्तानी दूतावास में संपर्क किया तो पाकिस्तानी हाई कमिश्नर से जान-पहचान के बावजूद वीज़ा अधिकारी को यह यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं सिर्फ घूमने के उद्देश्य से पाकिस्तान जाना चाहता हूं। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि कोई हिंदुस्तानी यूरोप, अमेरिका के बजाय पाकिस्तान घूमने का ख्वाहिशमंद भी हो सकता है। वे असमंजस में हैं और मेरे घूमने की वजह से मुतमइन नहीं हो पा रहे हैं। दो-तीन बार झुंझलाकर वे कह भी चुके हैं कि हम टूरिस्ट वीजा किसी हिंदुस्तानी को नहीं दे सकते। आमीन।

3 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

पाकिस्तान में दोस्त बनाइए। फिर मेहमान बन कर जाइए।

शोभा ने कहा…

पंकज जी
यह कुछ लोगों की फैलाई गई नफ़रत है कि ऐसा वातावरण बन गया है।

Udan Tashtari ने कहा…

पाकिस्तान घूमने का मन तो मेरा भी है. :)