शुक्रवार, जनवरी 02, 2009

पड़ोसी देशों की चुनौतियों के बीच भारत


नये वर्ष में आतंकवाद देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के लिए भारत को सुरक्षा नीति के साथ-साथ पड़ोसी देशों की आंतरिक स्थितियों पर भी बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। क्योंकि बाकी चीजें तो बदलना मुमकिन है, लेकिन पड़ोसी बदलना नहीं। बेनजीर की हत्या के बाद आतंकवादी हमलों और आईएसआई को लेकर पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में जारी उठापटक के कारण संभव है कि आईएसआई समेत अन्य भारत विरोधी तत्वों की मंशा देश को जंग की ओर धकेलने की हो। मुंबई हमले के बाद आनन-फानन में सरहद पर फौजों की तैनाती, आतंकी तत्वों पर कार्रवाई के मुद्दे पर बदलती नीति के कारण पाकिस्तान निश्चित रूप से एक गंभीर चुनौती है। संसद पर हमले के बाद ग्यारह महीने तक सीमा पर सैनिकों रखना बेनतीजा रहा। इसका दोहराव आगे न हो, यह हमारे कूटनीतिज्ञों और राजनीतिज्ञों के सामने एक बड़ी चुनौती है। जबकि अफगानिस्तान के हालात पहले से अधिक खराब हुए हैं और देश के तकरीबन सत्तर फीसदी इलाकों में तालिबान का प्रभाव बढ़ गया है।

पिछले साल नेपाल में राजशाही के अंत के बाद माओवादी नेता पुष्पकमल दहल उर्फ प्रचंड के नेतृत्व में इस पड़ोसी देश ने भारत के साथ अपने संबंधों की समीक्षा को लेकर बेहद आग्रहशील है। ऐसे में नेपाल के साथ अपने दशकों पुराने संबंध को लेकर इस वर्ष कूटनीतिक स्तर पर भारत को रस्सी पर चलने जैसी सावधानी की दरकार है। पूर्वोत्तर में निरंतर फैलते आतंकवादी घटनाओं में जिन हूजी, उल्फा और अन्य आतंकी तत्वों का हाथ साबित हुआ, वे बांग्लादेश से संचालित हो रहे हैं। विगत वर्ष के अंत में संपन्न हुए चुनाव में शेख हसीना की जीत के बाद हमें इस बात की खुशी है कि वे भारत की मुश्किलों को समझने वाली नेता मानी जाती हैं। म्यांमार की सैन्य सरकार ने लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रही नेता आंग सान सू ची की नजरबंदी की मियाद बढ़ा दी है। भारत के प्रति इस पड़ोसी देश का जो असहयोगी रवैया है, उसको अनदेखा नहीं किया जा सकता। श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों और श्रीलंकाई सेना के बीच दशकों से चल रही लड़ाई को लेकर तमिलनाडु की राजनीति में जो गतिविधियां पिछले वर्ष घटित हुईं, उसके बाद श्रीलंका की स्थिति से हम चाहकर भी निरपेक्ष नहीं रह सकते। हमारे पड़ोसी देशों में जैसा घटनाक्रम चल रहा है, उसे देखते हुए उम्मीद की जानी चाहिए सुरक्षा और विदेश नीति के मोर्चे पर हमारे नेता इस वर्ष बेहतर और परिपक्व रवैया अपनाएंगे।

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