मंगलवार, नवंबर 17, 2009

बार बार आपका पता पूछते हैं...


विजी थुकुल की कविताओं के बाद एक छोटी कविता इस जन कवि की मुश्किलों में पली-बढ़ी बेटी फितरी न्गंथी वानी (1989 में पैदा हुई)जिसे जून 2009 में प्रकाशित उसके पहले काव्य-संकलन से लिया गया है। संकलन का नाम है AFTER MY FATHER DISAPPEARED जिसमे अपनी भाषा के साथ साथ उसका अंग्रेजी अनुवाद भी दिया हुआ है. एक क्रन्तिकारी कवि की बेटी अपने अनुपस्थित पिता को कितनी शिद्दत से याद करती है, इसका जीवंत दस्तावेज है ये कविता। इसे बहुत प्यार से और गहरे वात्सल्य भाव से अनूदित किया है बड़े भाई यादवेन्द्र जी ने। धन्यवाद देने की गुस्ताखी नहीं करूंगा, जिसे आजकल वे एक बदमाशी समझते हैं।


घर लौट आओ पापा


घर लौट आओ पापा
पूरा परिवार आपकी राह देख रहा है
आपके दोस्त भी बार बार आपका पता पूछते हैं...

घर लौट आओ पापा
क्या आपको पता नहीं
कि इंडोनेसिया खंड-खंड बिखरने लगा है
पानी की पाइपों में बहने लगा है कीचड़
कारखानों से जो निकल रहा है धुआं
प्रदूषित करता जा रहा है हमारी जमीन
नदियों तक पहुँच गया है कचरा
और सारे तटवर्ती इलाके हो गए हैं विषैले
हमें इस दुर्गन्ध से बचने के लिए
बंद करनी पड़ती है नाक

यह देश रो रहा है पापा
इस देश को आपकी बेहद जरुरत है..

घर लौट आओ पापा
क्या एक बार भी मेरी याद नहीं आती आपको
ये गुहार मैं लगा रही हूँ...आपकी बेटी
मैं,माँ और छोटा भाई
हम सब आपके बगैर बिलकुल अकेले पड़ गए हैं

मैं कब तक आपकी राह देखती रहूँ पापा
और प्रार्थना करती रहूँ....पापा?

इस देश की गद्दी सँभालने वालो
मुझे वापिस करो मेरे पापा...

अनुवादः यादवेन्द्र

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