मंगलवार, फ़रवरी 20, 2007

बकौल चचा गालिब:
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती....क्योंकि कितने मासूम लोग मारे गये हैं "समझौता" नामक गाडी में!!!!
कितना खून बहा है इनसानियत का! किशोर कुमार के गाए गीत की तरह अब इस तरह जीना होगा...समझौता गमों से कर लो.....

आदमी से अब देखिए अब डर रहा है आदमी
मारता है आदमी और मर रहा है आदमी
समझ में आता नहीं कि क्या कर रहा है आदमी
कौन जाने आदमी को खा गई किसकी नज़र
आदमी से दूर होता जा रहा है आदमी

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