गुरुवार, अगस्त 30, 2007

एक मछली जो अंधेरे में चमकती है


ताईवान की एक कंपनी ने एक ऐसी सजावटी मछली की प्रजाति तैयार की है जो अंधेरे में चमकती है.हरे पीले रंग में चमकने वाली इस मछली को कंपनी ने जीन संशोधन से तैयार किया है.ताईकाँग कार्पोरेशन नाम की इस कंपनी ने जेलीफिश के डीएनए को ज़ेब्राफिश में डाल दिया इससे एक नई प्रजाति तैयार हो गई.जीन के साथ पहले हुए प्रयोगों में भेड़ के दूध में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देने जैसे प्रयोग तो हुए हैं.पर ज़ेब्रा मछली के साथ पहली बार ऐसा प्रयोग हुआ है.कुछ लोगों के लिए तो यह महज़ एक मज़ेदार प्रयोग है पर कुछ दूसरे इस बात पर चिंतित हैं कि 'डरावने जीवों' का सिलसिला कहाँ तक जाएगा.नसबंदी ताईकाँग कार्पोरेशन की इस मछली में ब्रिटेन ने बहुत रुचि दिखाई है जहाँ एक्वैरियम का धंधा करोड़ों का है.इस कंपनी का दावा है कि जीन संवर्धित मछलियाँ और यह अंधेरे में चमकने वाला फ्लोरोसेंट जीन सुरक्षित है.और इनकी नसबंदी भी की जा चुकी है.वैसे तो टीके-1 नाम की ये मछलियाँ 2001 में ही तैयार कर ली गईं थीं पर इनकी नसबंदी करने में डेढ़ वर्ष और लग गए ताकि ये सामान्य मछलियों के साथ प्रजनन न कर सकें और कोई नई अनचाही प्रजाति तैयार न हो जाए.
टीके-1 मछलियों को ताईवान विश्वविद्यालय के एच जे साई ने तैयार किया है.ताईकाँग कार्पोरेशन की योजना यह थी कि वह पहले 30 हज़ार मछलियाँ तैयार करके प्रति मछली 17 डॉलर यानी आठ सौ रुपयों से अधिक में बेचा जाए.कार्पोरेशन तीन महीने के भीतर इसका उत्पादन एक लाख तक बढ़ाना चाहता था.पर इसे लेकर लोगों की रुचि कम ही नज़र आ रही है.वैज्ञानिक चिंतित हैं कि ब्रिटेन में ये मछलियाँ भौगोलिक परिस्थियों के अनुसार अपने आप को ढाल पाएँगी या नहीं.कुछ लोग इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि जीव फ़ैशन की चीज़ बन जाए.

1 टिप्पणी:

Manish Kumar ने कहा…

रोचक जानकारी दी आपने .