मंगलवार, जनवरी 13, 2009

आखिर कैसे सब कुछ पाक-साफ दिखता रहा?


सत्यम के नए निदेशक की पहल अब तक के सबसे बड़े कारपोरेट घोटाले का शिकार बनी देश की चौथी बड़ी साफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स सर्विसेज को गंभीर संकट से उबारने की कोशिशों के तहत सरकार ने नए निदेशक मंडल की जो घोषणा की है, उसका संपूर्ण कारपोरेट जगत ने स्वागत किया है। साफ्टवेयर के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपना खासा दबदबा रखने वाले सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की साख बरकरार रखने के लिए यह सरकारी प्रयास जरूरी हो गया था। सरकार ने सत्यम का कामकाज अबाधित रखने के लिए एचडीएफसी के अध्यक्ष डॉ.दीपक पारेख, नैस्कॉम के पूर्व अध्यक्ष किरण कार्णिक और सेबी के पूर्व सदस्य एवं कानूनी मामलों के जानकार सी.अच्युतन की नियुक्ति करके काफी हद तक उद्देश्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा दिया है।

हालांकि इन निदेशकों को सरकार ने नियुक्त किया है, लेकिन नवनियुक्त तीनों निदेशकों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा और वे स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगे। नए निदेशकों को इन चुनौतियों से सबसे पहले जूझना होगा कि आखिर कैसे इतने लंबे समय तक यह गड़बड़झाला चलता रहा और ऊपर से सब कुछ पाक-साफ दिखता रहा? कारपोरेट गवर्नेंस के लिए पुरस्कृत होने वाली इस कंपनी की साख को देखकर जिन निवेशकों ने इस कंपनी पर अपना भरोसा जताया, उनके भरोसे और धन दोनों की सुरक्षा कैसे बहाल होगी, इससे भी जूझना होगा। वैश्विक मंदी के इस दौर में जब हर तरफ से निराशाजनक खबरें आ रही हैं, उस माहौल में सत्यम के इस महाघोटाले के बाद इस कंपनी के पचास हजार कर्मचारियों का भविष्य भी अधर में लटक गया है। ऐसे में कंपनी मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता का यह बयान कि नया बोर्ड संकट की इस घड़ी में कंपनी को जिम्मेदार नेतृत्व प्रदान करेगा, ताकि कर्मचारियों का मनोबल बना रहे और उपभोक्ताओं का विश्वास भी बहाल रहे, महत्वपूर्ण है। लेकिन इस घटनाक्रम से जाने-अनजाने सरकार भी सवालों के घेरे में तो आ ही गई है कि इतने लंबे समय से यह सब चलने के पीछे कहीं-न-कहीं से सिस्टम का सहयोग तो रहा होगा। बहरहाल, नए निदेशक मंडल पर कंपनी की साख, ग्राहकों का विश्वास और कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने की जो महती जिम्मेदारी आई है, उम्मीद की जानी चाहिए इन उसे नए निदेशक मंडल के काबिल सदस्य बेहतर तरीके से पूरा कर पाएंगे।

1 टिप्पणी:

एस. बी. सिंह ने कहा…

सही कहा आपने। वैस यह नई बात नहीं है। हमारी सरकार धोताले रोकने में नहीं घोटाला हो जाने के बाद बयान देने में सिद्धहस्त है। पहली बार ख्वाब के दर आया । अच्छा लगा। अब आना ज़ाना लगा रहेगा।