कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को सब जानते हैं। मैला-आंचल को बहुतों ने पढ़ा है। तीसरी कसम फिल्म बहुत सारे सिने प्रेमियों ने देखी हैं...मगर हिरामन जैसे पात्र के रचयिता रेणु जी की महुवा घटवारिन लतिका रेणु को शायद कम लोग जानते हैं। हालांकि रेणु जी के लिए जिन्होंने तन-मन-धन और पूरा जीवन उत्सर्ग कर दिया उन्हें शायद ज्यादा जानना चाहिए था, मगर हम कुछ कारणों से उन्हें नहीं जानते।
रेणु जी जब पटना मेडिकल कालेज अस्पताल में लंबी बीमारी से जूझ रहे थे, तब वहां तत्कालीन नर्स लतिका जी ने उनकी बड़ी सेवा की थी। लतिका जी बंगाली हैं और रेणु जी का बांग्ला भाषा पर भी उतना ही अधिकार था जितना कि हिंदी पर। वे लतिका जी से बांग्ला में ही बात करते थे। भाषा की निकटता ने मरीज और नर्स को वास्तविक रुप से भी एक-दूसरे के नजदीक ला दिया। रेणु जी शादीशुदा थे, पहले से ही उनके कई बच्चे थे, बावजूद इसके उन्होंने लतिका जी से दूसरी शादी की। लतिका जी ने रेणु जी के लिए सब कुछ उत्सर्ग कर दिया। यहां तक जिस मातृत्व को औरत की पूर्णता से जोड़कर देखा जाता है, लतिका जी ने उसकी भी तिलांजलि दे दी, क्योंकि वे जानती थीं कि रेणु जी के पहली पत्नी से कई बच्चे हैं। वही बच्चे इनके भी बच्चे होंगे। दुर्योग से वे इनके बच्चे तो साबित नहीं ही हो पाए, अलबत्ता दुश्मन जरूर हो गए।
अपनी किताबों का कॉपीराइट भी रेणु जी ने अपने बड़े बेटे पद्मपराग राय वेणु को दे दिया। आज लतिका जी के पास मामूली पेंशन है, एक छोटा-सा मकान है-जिसे हथियाने की पूरी कोशिश कर चुके हैं पद्मपराग राय वेणु और अपना बच्चा तो खैर कोई है ही नहीं। पटना के राजेन्द्र नगर मोहल्ले के एक छोटे से फ्लैट में आज नितांत एकाक जीवन जी रही लतिका जी बेहद भुखमरी के दौर से गुजर रही हैं। कोई उन्हें देखनेवाला नहीं है, न समाज, न सरकार और न रेणु जी के प्रशंसक।
6 टिप्पणियां:
यहीं रहते थे रेणु : http://www.youtube.com/watch?v=iwlNzzDX2iQ
ये तो बहुत दुःख की बात है की कोई भी उनकी मदद नही कर रहा है।
बड़ा दुखी मन हो गया यह जान कर.
अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो लतिका जी बाद में पटना के राम मोहन राय सेमिनरी में पढ़ातीं थी। अगर ये वही महिला हैं तो ये मरी क्लास टीचर भी हुआ करती थीं।
Aapka anuman sahi hai rajeev ji. wah Latika ji hi thi.
hashiye par jo log chale jate hain unka mahatva kam kabhi nahi hota...aur latikaji jaise log to tabtak prasangik aur jiwit hain jabtak renuji ki rachnayen padhi aur banchi jati rahengi.inhi ki shreni me aur log bhi hain,unpar bhi likha jana chahiye.apne unke smaran ke sath ek parampara ki khoj ko rekhankit kiya hai...sadhuvaad.
yadvendra,roorkee
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