अशोक शास्त्री नहीं रहे। आज सुबह (24.04.2008 को) दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका देहांत हो गया।
जनसत्ता से लंबे समय तक जुड़े रहे अशोक जी इन दिनों जयपुर में रह रहे थे और घर पर रहकर स्वाध्याय कर रहे थे, बरसों से लंबित काम निबटा रहे थे। रांगेय राघव की एकमात्र पुत्री से उनका ब्याह हुआ था, पर इसका कभी जिक्र तक वे नहीं करते थे। इसको लेकर के शायद उनके मन में कहीं-न-कहीं यह संकोच भी रहा हो कि लोग कहीं यह आरोप उनके ऊपर चस्पां न कर दें कि वे इस संबंध का कोई लाभ लेना चाहते हैं।
इस टेलीफोनिक युग में भी वे पत्र लिखा करते थे। चार दिन पहले उनका कोरियर से पत्र मिला था, साथ में उन्होंने दो स्केच भी बनाकर भेजा था। अशोक जी इतनी जल्दी और इस तरह चुपचाप दुनिया से रुख्सत हो जाएंगे, शायद उनके किसी शुभेच्छु को दूर-दूर तक भी आशंका न थी। आह, अशोक जी...2003 के बाद फिर मिलना भी न हो सका।
7 टिप्पणियां:
अशोकजी के जाने का अफसोस है।
अरे, अशोक जी? इतनी कम उम्र में? बड़ी हतक वाली बात है भाई....
मैं भी जनसत्ता परिवार का सदस्य रहा हूँ. अशोक जी के व्यक्तित्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि महान कथाकार-उपन्यासकार रांगेय राघव का दामाद होने के बावजूद उन्होंने कभी इसका लाभ नहीं उठाया. दुःख की इस घड़ी में मैं स्वर्गीय के परिवारजनों के साथ हूँ.
hardik shraddhanajali.
hardik shraddhanajali Ashok shastri ji ko.
अशोक जी के प्रति मेरी भी हार्दिक श्रद्धांजलि....
i m ashok Shastri's nephew(sister's sone),tonight i m missing him more than ever, first time i googled his name on the internet & stumbled on this blog, i can only tell that i cannot have a better mama than him.
i miss you pappu mama!i love u!
can't see seema mami,nana &nani crying!Please wapas aa jao!
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