बुधवार, सितंबर 19, 2007

हम भी कुछ खुश नहीं वफा करके


इश्क में कहते हो हैरान हुये जाते हैं

ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हैं


- जोश मलीहाबादी

ऐ इश्क तूने अक्सर कौमों को खा के छोड़ा

जिस घर से सर उठाया उसको बिठा के छोड़ा


- हाली

इश्क कहते हैं जिसे सब वो यही है शायद

खुद-ब-खुद दिल में है इक शख्स समाया जाता


- हाली

देखा न आंख उठा के कभी अहले-दर्द ने

दुनिया गुजर गई गमे-दुनिया लिये हुये


-फानी बदायूंनी

इश्क कहता है दो आलम से जुदा हो जाओ

हुस्न कहता है जिधर जाओ नया आलम है


- आसी गाजीपुरी

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे


- जौक

बुत को बुत और खुदा को जो खुदा कहते हैं

हम भी देखें कि तुझे देख के क्या कहते हैं


- दाग


हम भी कुछ खुश नहीं वफा करके

तुमने अच्छा किया निबाह न की


- मोमिन

थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त

ये वो मामला है जिसमें या सब कुछ या कुछ भी नहीं


- फिराक गोरखपुरी

फिर दिल पे है निगाह किसी की रुकी रुकी

कुछ जैसे कोई याद दिलाता है आज फिर


- फिराक गोरखपुरी

गरज कि काट दिए जिन्दगी के दिन ऐ दोस्त

वो तेरी याद में हो या तुझे भुलाने में


- फिराक गोरखपुरी

अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ

देखा जो मुझको छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ


- वफा रामपुरी

आ के तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूं

मैं जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूं मैं


- जिगर मुरादाबादी

तुम नहीं पास कोई पास नहीं

अब मुझे जिन्दगी की आस नहीं


- जिगर बरेलवी

हिज्र हो या विसाल ऐ अकबर

जागना रातभर कयामत है


- अकबर इलाहाबादी

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

वाह भाई, बहुत बढ़िया संकलन किया है. आभार इस प्रस्तुति के लिये.