बेबी हालदार जब पेरिस पहुंची तो काफी लोगों को उनसे मिलने की उत्सुकता थी. लोग जानना चाहते थे कि एक कामवाली औरत कैसे आत्महत्या और हत्या से बचे जीवन में इतनी ताकतवर हो सकी? फ्रांस के लोग सांस्कृतिक रुप से कितने संपन्न है इसका अनुमान सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूरोपीय लेखकों के बीच यह धारणा प्रचलित है कि जिसको पेरिस में मान्यता नहीं मिली उसको समझो कहीं मान्यता नहीं मिली. शायद यही कारण है कि रायनेर मारिया रिल्के, स्टीफन ज्विग, सार्त्र, सिमोन सबने पेरिस को अपना ठिकाना बनाया. ऐसे पाठकों के बीच बेबी हालदार एक सप्ताह तक रही। रोज कहीं भाषण देना होता, कहीं पाठकों के सवालों का जवाब देना होता, कहीं आटोग्राफ देना होता और अक्सर फ्रेंच महिलाओं के साथ देर तक बैठकर उनके सवालों का जवाब देना पड़ता। यह सब होता एक दुभाषिया के माध्यम से। वहां के लोग बेबी के सवालों से चमत्कृत होते। हैरत की बात यह है कि फैशन के नये-नये रुप प्रचलित करनेवाले शहर पेरिस की फैशन पत्रिकाओं ने अपने आवरण पर बेबी को छापा, इंटरव्यू लिये।
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तीन दिन पहले ही इसे पढना शुरु किया है ...
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