उस पर समाज के तथाकथित ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि वह न सिर्फ पागल है बल्कि वह लोगों पर काला जादू भी करती है। यह आरोप लगाकर लोगों ने उसे तरह-तरह से परेशान करना शुरू किया और अपने दम पर इस बहादुर लड़की ने ऐसे लोगों से मुकाबला किया तो हाई कोर्ट में उसके खिलाफ इसी बात को आधार बनाकर मुकदमा कर दिया। हाई कोर्ट इस मामले की कल यानी 14. 02. 2008 को सुनवाई भी की है, पर सुनवाई के बाद कोर्ट कहा क्या यह अभी तक पता नहीं चल सका है।
समाज के ठेकेदारों ने उसके ऊपर जो आरोप लगाये हैं उसके उलट सचाई यह है कि सेतु पारिख ने हाल ही में बंबई विश्वविद्यालय की एम.ए. के इम्तहान में फिलासफी विषय में न सिर्फ प्रथम श्रेणी प्राप्त की बल्कि पूरे विश्वविद्यालय में टॉप किया है। क्या कोई पागल इम्तहान में टॉप कर सकता है? जरा सोचिये? उसकी इसी उपलब्धि के लिए हाल में संपन्न हुए भारतीय समाज विज्ञान कांग्रेस ने उसे आमंत्रित किया था। इस आयोजन में देश के अनेक विश्वविद्यालय के कुलपति भी उपस्थित थे। बंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सेतु पारिख को इस उपलब्धि के लिए हालांकि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार ने दो गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया लेकिन उसी कोर्ट में उसे पागल करार देने के लिए उस पर मुकदमा भी चल रहा है।
एक बातचीत में सेतु ने कहा कि एम.ए. की इम्तहान की तैयारियों के समय वह कोर्ट में मुकदमा भी लड़ रही थी। हर दिन उसे लगता कि कहीं वह इम्तहान देने से वंचित न रह जाए। उन दिनों को याद करते हुए सेतु पारिख ने बताया कि वह उन दिनों को भूली नहीं है जब लोग उस पर पागल होने के साथ काला जादू करने और वेश्यावृत्ति का धंधा चलाने तक का आरोप लगाते थे। अगर कोई मजबूत इरादे की स्त्री न होती वह वास्तव में पागल हो जाती और उसके बाद शायद खुदकुशी भी कर सकती थी।
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