याद करिये मरहूम मंटो साहिब की किताब मीनाबाजार में अभिनेता श्याम के बहाने मुंबई के दंगों का मंजर और विभाजन के बाद के हालात का बयान। श्याम ने पाकिस्तान से लुट-पिटकर मुंबई पहुंचे एक सरदार से वहां की घटना के बारे में सुनने के बाद मंटो से कहा कि वह एक हिंदू होने के कारण तैश में आकर उस वक्त मंटो का कत्ल भी कर सकते थे। मंटो इससे हतप्रभ रह गये यह मजहब और हालात का दोस्ती पर कब्जा। वे टूट गए। एक फिल्म में एक पागल सैनिक अफसर की भूमिका निभानेवाले मंटो खुद अपने जीवन में दो बार पागल हुए।
तो भैया यह है हालात का दखल लोगों के जीवन में। सब लोग अपनी-अपनी ही गाने-बजाने में लगे हैं और शायद इसी का परिणाम है तेजी से अकेलेपन की बीमारी।
1 टिप्पणी:
बोधिसत्व ने दिल की बात सामने रख दी है, हम सब अकेले हैं
http://ashishmaharishi.blogspot.com/
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