बुधवार, अगस्त 29, 2007

भूत सिर्फ़ दिमाग़ का एक वहम है

इन दिनों हिंदी के तमाम अखबार भूत-प्रेत का मसाला बेच रहे हैं. इंडिया टी.वी. ने तो ऐसे मामले को परोसने में महारत ही हासिल कर ली है. हर अखबार सैक्स, धर्म, क्रिकेट और कार के बाद भूतों के किस्से को सबसे बिकाऊ माल समझने लगे हैं. इसी का नतीजा है कि हिंदी के एक बड़े घराने का अखबार हर रविवार भूतों के किस्से जरूर परोसता है. पेश है इसकी सचाई पर आधारित एक शोध का नतीजा-
कई बार ठंडी हवा के चलने, कम रोशनी होने और चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण ऐसा महसूस होता है कि कमरे में कोई है लेकिन ये सिर्फ़ एक अनुभूति होती है.मनोवैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष ब्रिटेन की उन दो सबसे ज़्यादा प्रेतबाधित इमारतों हैम्पटन कोर्ट पैलेस, इंग्लैड और एडिनबरा, स्कौटलैंड की साऊथ ब्रिज वॉल्ट इमारत में बड़े पैमाने पर किये गये उस अध्ययन के बाद निकाला है जिसमें सैकड़ों लोगों पर प्रयोग किये गये.

चुम्बकीय क्षेत्र बदलने से भी कई आश्चर्यजनक प्रभाव उत्पन्न होते हैंये अध्य्यन करने करने वाले हर्टफ़ोर्डशायर विश्वविद्यालय के डॉ. रिचर्ड वाइज़मैन और उनके सहयोगियों का कहना है कि उन्हें कई आश्चर्यजनक तथ्य मिले हैं जिनसे ये पता चलता है कि जो लोग भूत-पिशाच से प्रभावित होते हैं वो भूतों के वास्तविक होने का तो कोई सबूत नहीं दे पाते लेकिन प्रेतग्रस्त ज़रुर होते हैं.हैम्पटन कोर्ट में जहां कथित रुप से हेनरी अष्टम की पांचवी पत्नी कैथरीन हावर्ड का भूत होने की बात कही जाती है, कुछ लोगों से कहा गया कि वे इस भूत के बारे में अपने कुछ अप्रत्याशित अनुभव रिकार्ड करें.जैसे क़दमों की चाप, किसी की कमरे में मौजूदगी वगैरह.डॉ रिचर्ड वाइज़मैन कहते हैं ये अनुभव चौंकाने वाले थे.कुछ लोगों ने इन दोनों इमारतों में बड़ी तादाद में अप्रत्याशित घटनाएँ रिकार्ड कीं और इससे इस बात के सबूत मिलते हैं कि प्रेतग्रस्त होना एक वास्तविकता है.पर क्या भूत वास्तव में होते हैं?डॉ वाइज़मैन और उनके सहयोगी इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं.

1 टिप्पणी:

ghughutibasuti ने कहा…

अच्छी जानकारी देने वाले लेख के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती