बेबी हालदार कुछ महीने पहले पहली बार हांगकांग जा रही थी तो दिल्ली एयरपोर्ट पर उसे रोक दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि यह महिला लेखिका कैसे हो सकती है? क्योंकि अधिकारियों की समझ के अनुसार लेखिका होने के साथ-साथ दिखना भी जरूरी है. सो बेबी उनकी नजरों में वैसा दीख नहीं रही थी. द अदर साइड आफ साइलेंस की मशहूर लेखिका उर्वशी बुटालिया भी बेबी के साथ थी. उनके समझाने का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ. नतीजतन उस दिन बेबी की फ्लाइट मिस हो गई. अगले दिन एक सांस्कृतिक रुप से संपन्न अधिकारी की बदौलत बेबी की रवानगी संभव हो पाई. वहां जाकर दुनिया भर के लेखकों ने बेबी हालदार के संघर्ष से परिचय प्राप्त किया. उसके बाद बेबी पेरिस गईं. वहां तकरीबन एक सप्ताह तक वह रहीं और फ्रेंच भाषी समाज को अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया. आगे वहां घटी कुछ दिलचस्प घटनाओं के बारे में वह स्वयं यहां लिखेंगी.
4 टिप्पणियां:
इंतजार रहेगा
ऐसा ही होता है। लोग हर किसी की एक छवि दिमाग में बना लेते हैं और अगर वह उनके फ्रेम में फिट नहीं बैठता तो उसके साथ वैसा ही होता है जैसा बेबी के साथ हुआ। इसके लिये जरूरी है कि लोग अपनी मानसिकता में बदलाव लायें। अच्छा मुद्दा उठाया है आपने। हमे तो मालूम ही नहीं था कि ऐसा हुआ। आपका शुक्रिया।
इन्तज़ार है ...........
'दिखाऊ' जमाने में इतना तो झेलना ही पड रहा है.
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