सोमवार, सितंबर 17, 2007

क्या अब्राहम लिंकन अमेरिका के ही राष्ट्रपति थे?

क्या अब्राहम लिंकन भी उसी अमेरिका के राष्ट्रपति थे जिस अमेरिका के राष्ट्रपति श्रीमान जार्ज डब्लयू. बुश साहब हैं?यकीन नहीं आता कि आज का अमेरिका वही अमेरिका है जिसके राष्ट्रपति कभी अब्राहम लिंकन हुआ करते थे. आज बुश साहब के नेतृत्व में अमेरिका जिस कदर दुनिया को अपने पांवों के तले रौंदने को लोकतंत्र की स्थापना का नाम दे रहा है उसके कारण सहसा यह यकीन नहीं होता. यह भी यकीन नहीं होता कि उसी अमेरिका में आज के पब्लिक इंटेलेक्चुअल नोम चोम्स्की साहब रहते हैं. जो अमेरिका आज हर बात का जवाब कलस्टर बम और अनेक तरह के हथियारों से देने का आदी हो चुका है उसी अमेरिका के कभी राष्ट्रपति जनाब अब्राहम लिंकन साहब ने अपने बेटे के शिक्षक को एक पत्र लिखा था. पेश है लिंकन साहब का वह अमर पत्र-

उसे सिखाना

उसे पढ़ाना कि संसार में दुष्ट होते हैं तो आदर्श नायक भी
कि जीवन में शत्रु हैं तो मित्र भी
उसे बताना कि श्रम से अर्जित एक डालर
बिना श्रम के मिले पांच डालर से अधिक मूल्यवान है


उसे सिखाना कि पराजित कैसे हुआ जाता है
यदि उसे सिखा सको तो सिखाना
कि ईर्ष्या से दूर कैसे रहा जाता है


नीरव अट्टहास का गुप्त मंत्र भी उसे सिखाना


तुम करा सको तो उसे पुस्तकों के आश्चर्यलोक की सैर अवश्य कराना
किंतु उसे इतना समय भी देना
कि वह नीले आकाश में विचरण करते विहग-वृंद के शाश्वत सत्य को जान सके
हरे-भरे पर्वतों की गोद में खिले फूलों को देख सके
उसे सिखाना कि पाठशाला में अनुत्तीर्ण होना अधिक सम्मानजनक है
बनिस्बत धोखा देने के


उसे अपने विचारों में आस्था रखना सिखाना
चाहे उसे सभी कहें यह विचार गलत है तब भी
उसे सिखाना कि सज्जन के साथ सज्जन रहना है
और कठोर के साथ कठोर

मेरे पुत्र को ऐसा मनोबल देना
कि भीड़ का अनुसरण न करे
और जब सभी एक स्वर में गाते हों तो उसे सिखाना कि तब वह धैर्य से सुने
किंतु वह जो कुछ सुने उसे सत्य की छलनी से छान ले
उसे सिखाना कि दुख में कैसे हंसा जाता है
उसे समझाना कि आंसुओं में कोई शर्म की बात नहीं होती
तुनकमिजाजियों को लताड़ना उसे सिखाना
और यह भी कि अधिक मधुभाषियों से सावधान रहना है


उसे सिखाना कि अपना मस्तिष्क
और विचार अधिकतम बोली लगाने वालों को ही बेचे
मगर अपने हृदय और आत्मा पर मूल्य-पट भी न टांके


उसे समझाना कि शोर करने वाली भीड़ पर कान न दे
और यदि वह समझे कि वह सही है
तो उस पर दृढ़ रहे और लड़े


उसके साथ सुकोमल व्यवहार करना
पर अधिक दुलारना भी मत
क्योंकि अग्नि-परीक्षा ही इस्पात को सुंदर
सुदृढ़ बनाती है
और बहादुर होने का धैर्य भी


उसे सिखाना कि वह सदैव अपने आप में उदात्त आस्था रखे
क्योंकि तभी वह
मनुष्य जाति में उदात्त आस्था रख पाएगा....

3 टिप्‍पणियां:

Sanjay Tiwari ने कहा…

जोरदार.
लिंकन अपने बेटे को जो कुछ सिखाना चाहते थे बुश उसका उल्टा सीख आये हैं.

ePandit ने कहा…

लिंकन की ही तरह अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन भी महान व्यक्ति थे उन्होंने इंगलैण्ड से स्वतंत्रता के पश्चात जब सेना उनको अमेरिका का सम्राट बनाना चाहती थी, इसके लिए मना कर दिया था तथा अमेरिका में लोकतंत्र स्थापित करवाया था।

hasan ने कहा…

ABRAHAM LINCON EK HONEST ADMI THEY JINHONE APNE BAAD AANE WALI PIDI KO SAHI RASHTA DIKHAYA AUR UNKE RASTE PAR JO BHI CHALA USE KAMYABI BHI MILI AB OBAMA BHI USI RAAH PAR CHALENGE TO JO AMERICA AB TAK PICHE THA AB TARAKKI KAREGA TARAKKI SIRF YE NHI HOTI KI APNE DESH KE PAISE KI VALUE BADA DI YA DUSRE DESHO KO APAS MAI LADAA KAR UNHE APNE WEAPON BECK DIYE TARAKKI WO HOTI HAI JISME PURA DESH KHUSH HO AUR AUR HAR ADMI KE GHAR MAI KHUSHI KA MAHOL HO USE KAHTE HAI POLITICIAN ITS THE RIGHT CHOICE BABY AAHA|