मंगलवार, दिसंबर 29, 2009

बलात्कारी महासंघ के माननीय सदस्यों के नाम...


सावधान! बलात्कारी महासंघ के सदस्यों की बीवियां कमर कस चुकी हैं!

हत्यारा एसोसिएशन की बीवियां मोर्चा संभाल चुकी हैं!


पिछले पांच सालों में बड़े अपराधियों की पत्नियों को आप मीडिया के कुरुक्षेत्र में महाभारत लड़ते हुए देख सकते हैं। नौकरानी के साथ बलात्कार के आरोपी शाइनी आहूजा की बीवी को, शिवानी भटनागर केस में शामिल आईजी आरके शर्मा की बीवी को, रुचिका गिरहोत्रा केस के अपराधी एसपीएस राठौड़ की वकील बीवी आभा राठौड़ को आप देख सकते हैं कि कितनी बेशर्मी और बेहया की तरह वे अपने पति का बचाव करने के लिए मीडिया में आती हैं। पर जो लड़की रुचिका की तरह मीडिया से दूर रहती है...जिनके पिता उन्नीस सालों तक अदालत में मुकद्दमा नहीं लड़ सकते उस लडकी की हालत देखिये...मामला कब का है पता नहीं....पर दैनिक जागरण के रिपोर्टर की रपट हू-ब-हू आपके सामने पेश है....


सहरसा। पांच दिन पूर्व बनगांव थाना क्षेत्र से बरामद लावारिस लड़की पुलिस अभिरक्षा में गत शनिवार से सदर अस्पताल में इलाजरत है। परंतु दो दिनों में उसका इलाज तो दूर बेड पर चादर तक मुहैया नहीं कराया जा सका। वस्त्र के नाम पर उसके तन पर एक शर्ट और लुंगी है। सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है इस नस्तर चुभा देने वाली ठंड से वह कैसे जूझती होगी। गुप्तांग के घाव का असहनीय पीड़ा अलग है। गुप्तांग से लगातार बह रहे मवाद और खून की वजह से वह काफी कमजोर हो चुकी है। आशंका जतायी जा रही है कि युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुई हो। डयूटी पर तैनात महिला कांस्टेबल के मुताबिक अब उसे चलने-फिरने में परेशानी होने लगी है। सोमवार की दोपहर तक उसे दवा के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया। हां, सोमवार की दोपहर बाद स्वयंसेवी संस्था और मीडिया के पहुंचने के बाद अस्पताल उपाधीक्षक डा. विद्यासागर यादव ने खुद युवती को देखा और महिला चिकित्सक से बातचीत कर इलाज आरंभ करवाया। श्री यादव ने कहा कि पूर्व में भी महिला चिकित्सक विभा रानी द्वारा उक्त मरीज को देखा गया था। उन्होंने कहा कि वे अपने स्तर से इलाज मुहैया कराने का हरसंभव प्रयास करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पांच दिन पूर्व बनगांव थाना पुलिस ने लावारिस स्थिति में एक लड़की को बरामद की। पूछने पर वह कभी अपना नाम जमुना तो कभी मोनी बताती थी। जानकारी मिलने पर पहुंचे एसडीपीओ कमलाकांत प्रसाद ने बनगांव पुलिस को लड़की का मेडिकल चेकअप कराने का निर्देश दिया। शनिवार को महिला कांस्टेबल रीना कुमारी और सीमा कुमारी की अभिरक्षा में लड़की को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। रीना कहती हैं रविवार को एक महिला चिकित्सा ने उसके अंदरुनी घावों को देख दवा चलाने की जरूरत बतायी थी। परंतु दवा के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया। हां, मेडिकल जांच के लिए ब्लड आदि जरूर लिए गए। यहां तक कि बेड पर चादर तक मुहैया नहीं कराया गया। बाद में उन्होंने अपने घर से लाकर कंबल दिया। खाना भी वे अपने घर से लाकर खिला रही हैं। लड़की को देखने पहुंचे जिला बाल संरक्षण इकाई के सदस्यों ने अस्पताल के व्यवस्था पर खिन्नता प्रकट की।

5 टिप्‍पणियां:

रंजना ने कहा…

Kya kaha jaay.........

Randhir Singh Suman ने कहा…

thik nahi hai.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

पता नही कब सुधार होगा..

शिरीष कुमार मौर्य ने कहा…

पंकज भाई हमारा समाज असफल हो गया लगता है. इन सब कारणों और प्रसंगों से जीभ पर घृणा का स्वाद अब स्थायी हो गया है.

कुमार राधारमण ने कहा…

मीडिया को भी अपनी भूमिका पर विचार करना चाहिए। ऐसे लोगों का बयान दिखाना-छापना क़तई ज़रूरी नहीं है। लाईव तो हरगिज़ नहीं होना चाहिए। क्या किसी ने 11 सितम्बर के हमले के दोषियों अथवा इस आरोप में गिरफ्तार किए गए संदिग्धों में से किसी का एक लाईन का भी बयान या इंटरव्यू देखा? नहीं। इसलिए,अमरीका में वैसी घटना दुहराई नहीं गई। हमारे यहां रोज़-रोज़ का डर बना रहता है ।