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कश्मीर में पुंछ जिले के मेंढर के घने जंगलों में सेना और आतंकियों के बीच जारी मुठभेड़ से एक बार फिर वहां युद्ध जैसी स्थिति पैदा होने लगी है। आतंकी जिस तरीके से भारतीय सैनिकों पर चारों तरफ से हमले कर रहे हैं और अभी तक वहां गोलीबारी लगातार जारी है, उसे देखते हुए दूसरे कारगिल दोहराए जाने की आशंका बलवती होने लगी है। गौरतलब है कि कारगिल युद्ध की शुरुआत में पाकिस्तान आखिर तक कहता रहा था कि इसमें वहां की सेना की भागीदारी नहीं है, जबकि मारे गए कथित आतंकियों की जेब से बरामद होने वाले पहचान-पत्र से साफ तौर पर उनके पाकिस्तानी सैनिक होने की पुष्टि हो रही थी। मेंढर के मुठभेड़ में जिस तरह पक्के बंकर होने के खबरें मिल रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि कारगिल युद्ध के बाद भी हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने कोई सीख नहीं ली और इन तैयारियों की भी उसे कोई खबर नहीं मिल पाई! इससे साफ तौर पर पता चलता है कि घटनाओं और इतिहास से सबक लेने की जगह हम ढिलाई बरतते हैं और जब युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो जाती है तो अंतिम समय में सैनिक कार्रवाई करने की सोचते हैं।
पाकिस्तान बनने के बाद से ही वहां की सत्ता पर निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार से ज्यादा पाकिस्तानी सेना काबिज रही है। वहां जब भी लोकतांत्रिक सरकार सत्ता में आती है, तो सेना सरकार को अपदस्थ करने की तमाम रणनीतियां अपनाने लगती हैं। खुफिया एजेंसी आईएसआई पर वहां की लोकतांत्रिक सरकार से ज्यादा सेना का अख्तियार चलता है। सत्ता का स्वाद चख चुकी पाकिस्तानी सेना के बारे में वहां की मीडिया और कई नेता तक विरोध में बोलने लगे हैं और यह मानते हैं कि पाकिस्तानी अवाम की जहालत का एक बड़ा कारण सेना ही है। मगर आईएसआई, इस्लामिक संगठन और नौकरशाही में मौजूद भारत विरोधी तत्वों का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी सेना अपनी सर्वोच्चता साबित करती रही है। मुंबई हमले के बाद सीमा पर सैनिकों की तैनाती के करने के साथ-साथ उकसाऊ बयान देते हुए पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष अशफाक अहमद कियानी ने बयान दिया कि पाकिस्तानी सेना भारत को मुंहतोड़ जवाब देगी। यह संभव है कि मेंढर में जारी मुठभेड़ के पीछे वाकई आतंकियों का ही हाथ हो, लेकिन उनके तरीकों को देखते हुए इस आशंका को बल मिलता है कि इसमें पाकिस्तानी सेना के जवान भी शामिल हो सकते हैं। वक्त का तकाजा है कि सरकार इस मुठभेड़ का पूरी सख्ती से जबाव देकर देश को अस्थिर और असुरक्षित करने वाली ताकतों को पूरी दृढ़ता से जवाब दे और सुरक्षा व्यवस्था की तमाम खामियों को दूर करने के उपायों पर भी सख्ती से अमल करे।
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