बुधवार, जनवरी 14, 2009

गोल्डन ग्लोब की बात ही कुछ और है


भारतीय संगीत जगत के लिए बेहद खुशी का यह पहला मौका है, जब किसी भारतीय ने गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीता है। रहमान पहले भारतीय हैं जिन्हें किसी भी वर्ग में गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला है। बेहतर संगीत रचना के साथ-साथ पुरस्कृत गीत जय हो...जय हो...को पार्श्व गायक सुखविंदर के साथ एआर रहमान ने अपनी आवाज भी दी है। गोल्डन ग्लोब अवार्ड फिल्मों के लिए दिए जाने वाले ऑस्कर पुरस्कारों के बाद सबसे प्रतिष्ठित माने जाते हैं और इस बार मुंबई की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर को चार वर्गों में नामांकित किया गया था और इसने चारों अवार्ड जीत लिए। इस फिल्म की कथा भी बेहद रोचक है, जिसमें कौन बनेगा करोड़पति जैसे कार्यक्रम के जरिए झुग्गियों में रहने वाले एक व्यक्ति के अमीर बनने की कहानी के पीछे मुंबई की तस्वीर दिखाती इस फिल्म में संघर्ष और इंसानियत की भावना को जिस तरीके से दिखाया गया है, उसे देखने के बाद सभी को अपना संघर्ष छोटा लगने लगता है। स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत जय हो... में सुर और प्रेम का अद्भुत संगम है। यह एक सुखद संयोग है कि दिल से, साथिया, गुरु, युवराज, युवा-जैसी अनेक फिल्मों में गुलजार और रहमान की जुगलबंदी श्रोताओं को अपना कायल बना चुकी है। मुंबई की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म का संगीत अत्यंत लोकप्रिय हो चुका है।
एआर रहमान के लिए अवार्ड मिलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन ख्याति, प्रतिष्ठा और मान्यता के लिहाज से गोल्डन ग्लोब की बात ही कुछ और है। स्लमडॉग के संगीत के लिए रहमान को कुछ ही दिन पहले क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला है। पुरस्कृत गीत जय हो...के गीतकार स्वयं गुलजार मानते हैं कि एआर रहमान जादुई प्रतिभा के धनी हैं और वे संगीत को जिस वैश्विक ऊंचाई पर ले गए हैं, वहां तक अन्य कोई भारतीय संगीतकार पहुंचने में कामयाब नहीं हो पाया है। वंदे मातरम और मां तुझे सलाम जैसी संगीत रचना को अपनी पुरकशिश आवाज में गाकर उन्होंने संगीत के रसिक श्रोताओं के साथ-साथ-साथ आम जनों के बीच भी जनप्रिय बना दिया। सिंथेसाइजर वाद्य के लिए दंतकथा के नायक सरीखी लोकप्रियता हासिल करने वाले रहमान संगीत के जादूगर सहित अनेक विशेषणों से नवाजे गए हैं और अब तो उचित ही लोग उनके लिए ऑस्कर पुरस्कार की कामना करने लगे हैं।