गजा में इजराइल की कार्रवाई को दो सप्ताह से अधिक होने को आए हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद द्वारा युद्धविराम का प्रस्ताव पारित किये जाने के बावजूद इजराइल का अभियान जारी है। भारत-पाकिस्तान आपस में न भिड़ जाएं, इसके लिए कूटनीतिक स्तर पर बेहद सक्रिय अमेरिका ने गजा पर कहर बरपा रहे इजराइल के मसले पर सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का समर्थन तो किया, लेकिन मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मिस्र और फ्रांस की मदद से तैयार इस प्रस्ताव में कहा गया है कि युद्धविराम तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए, मगर युद्धविराम प्रस्ताव से ठीक पहले अमानवीयता की तमाम हदें पार करते हुए इजराइल ने गजा पर जबर्दस्त हवाई बमबारी की, जिसमें सैकड़ों निरपराध लोगों सहित जबालिया शरणार्थी शिविर के अल फकुरा स्कूल के कई बच्चे मारे गए। स्कूल में बच्चों सहित बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने शरण ली हुई थी। गौरतलब है कि पिछले 14 दिनों से गजा में हमास और इजराइली सेना के बीच चल रही भीषण लड़ाई में साढ़े सात सौ से अधिक फलस्तीनी और 14 इजराइली नागरिक मारे जा चुके हैं। सुरक्षा परिषद द्वारा युद्धविराम प्रस्ताव पारित किये जाने के बाद भी आलम यह है कि गजा में कोई सुरक्षित नहीं है और हजारों लोगों का जीवन वहां खतरे में है। दूसरी त्रासद स्थिति यह है कि गजा से निष्पक्ष समाचारों का मिलना कठिन हो गया है, क्योंकि इजराइल ने विदेशी पत्रकारों के वहां जाने पर रोक लगा दी है। इस वजह से सही खबरें न आने के कारण वहां की वास्तविक स्थिति का अनुमान लगा पाना कठिन है।
दुनिया के कई हिस्सों में इजराइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन इजराइल लंबे युद्ध की मुद्रा में नजर आ रहा है। फलस्तीनी स्वास्थ्य सेवा ने जानकारी दी है कि इजराइली हमलों में अब तक 600 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। टेलीविजन रिपोर्टों और अखबार में प्रकाशित तस्वीरें देखकर लगता है कि हमास और इजराइल के बीच जारी संघर्ष को लेकर युद्धविराम पर यदि तत्काल अमल न हुआ, तो कहना कठिन है कि कितनी बड़ी आबादी मौत के मुंह में चली जाएगी! गजा में हालात बहुत भयावह हैं और एक भीषण मानवीय त्रासदी को टालने के लिए वहां तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।
1 टिप्पणी:
इस्राइल को तो बहुत कुछ कह डाला सर अब हमास पर भी कुछ प्रकाश डाल देते तो कृपा होती ...
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