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वैश्विक मंदी की मार से पहले से ही त्रस्त शेयर बाजार और देश की अर्थव्यवस्था को सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम में हुए फर्जीवाड़े से गहरा धक्का लगा है। कंपनी के फर्जीवाड़े को स्वीकार करते हुए सत्यम के चेयरमैन रामलिंगा राजू ने अपने इस्तीफे की सूचना जैसे ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी, तो खुलने के साथ ही वह गोते खाने लगा। शर्मनाक यह है कि कंपनी के चेयरमैन की इस स्वीकारोक्ति कि पिछले कई वर्षों से सत्यम के जो नतीजे दिए जा रहे थे, उनमें मुनाफे को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा था और ये आंकड़ा लगभग पांच हजार चालीस करोड़ से ज्यादा का है, बहुत भयावह है। गौरतलब है कि इस कंपनी की साख को देखते हुए वर्ल्ड बैंक ने इसे अपने यहां सेवाएं मुहैया कराने को लेकर आठ साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। 2003 में जब सत्यम ने वर्ल्ड बैंक को अपनी सेवाएं देनी शुरू की थी, उसके दो साल के बाद रिश्वतखोरी का मामला सामने आया था कि बैंक के वाइस प्रेसिडेंट ने कम कीमतों में सत्यम के एडीआर के बदले दस करोड़ डॉलर का ऑर्डर दिया था। बेहद अफसोसजनक बात यह है कि इसके बाद भी कंपनी के लेखा-जोखा को लेकर आर्थिक नियामक एजेंसियों ने इस कंपनी पर गहरी नजर नहीं रखी और इतना सनसनीखेज मामला बन जाने तक कुछ नहीं किया!
पिछले वर्षों में हर्षद मेहता प्रकरण से लेकर एनरॉन तक के जो मामले सामने आए, उसके बाद वित्त, वाणि’य और कंपनी कानून मंत्रालय के स्तरों पर क्यों नहीं ऐसी फूलप्रूफ व्यवस्था बनाने लेकर कारगर कदम उठाए गए और जिम्मेदारियां तय की गईं? जब वल्र्ड बैंक ने सत्यम के खिलाफ कदम उठाया था तो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध इस कंपनी की साख पर भारी बट्टा लगा था। हालांकि सत्यम द्वारा की गई वित्तीय हेराफेरी को दहलाने वाली बताते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि वह इस मामले में सभी कानूनी कदम उठाएगी और सेबी ने इसके लिए सरकार और शेयर बाजारों से बातचीत शुरू कर दी है। यह कंपनी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध है इसलिए इसे अमेरिकी नियामक का सामना करना पड़ेगा। सेबी को चाहिए कि बेहद गहराई से इस मामले की जांच करे और भविष्य में सत्यम की सनसनीखेज सत्यकथा जैसी कोई दूसरी कथा किसी और कंपनी से निकलकर सामने न आए, इसको बेहद बनी व्यवस्था बेहद चुस्त-दुरुस्त होकर कार्य करे, यह सुनिश्चित करे।
2 टिप्पणियां:
bahut acchi jaankaari di aapne....
रामलिंग राजू ने कुछ भी नहीं किया, यह तो पूंजीवादी व्यवस्था की एक झलक भर है। अब सरकार को चाहिए कि कंपनी को बेलआउट पैकेज देकर बचाए, राजू ने अगर कहीं पैसा छुपा रखा है तो उसे भी ढूंढकर पैकेज में शामिल कर ले।
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