बुधवार, जनवरी 07, 2009

पिछले अनुभवों से कोई सीख क्यों नहीं लेते?


ट्रक ऑपरेटरों की जारी हड़ताल की वजह से पूरे देश में जरूरी चीजों की उपलब्धता पर बुरा असर पड़ा है और कीमतें तेजी से बढ़नी शुरू हो गई हैं। अपनी मांगों को लेकर ट्रक ऑपरेटरों ने कोई पहली बार हड़ताल पर जाने का फैसला नहीं लिया है और न ही सरकार हड़ताल के बाद उत्पन्न होने वाली दिक्कतों से अनजान है।

निराशाजनक यह है कि इस रस्साकशी और बयानबाजी के बीच न ट्रक ऑपरेटर झुकने को तैयार हैं और न सरकार किसी बेहतर समाधान की ओर बढ़ने के लिए जरा भी नमनीयता दिखाना चाहती है। ट्रक मालिकों की मांगों पर गौर किया जाना चाहिए कि एक ट्रक कई राज्यों से गुजरता है और हर राज्य की सीमा पर कागजी कार्रवाई में न सिर्फ पैसे लगते हैं, बल्कि जगह-जगह टोल टैक्स और डीजल पर लगने वाले विशेष कर के कारण उन्हें एक बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। मिसाल के तौर पर यदि दिल्ली से एक ट्रक मुंबई जाता है तो वहां तक रास्ते में सिर्फ टोल टैक्स के रूप में उसे पांच-छह हजार रुपये खर्चने पड़ते हैं। दूसरी ओर तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ सरकार ने घरेलू स्तर पर जिस तरह बढ़ोतरी की उसकी तुलना में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में भारी कमी होने के बावजूद घरेलू स्तर पर कोई खास कमी नहीं की गई है। सरकार और ट्रक ऑपरेटरों की बीच तीसरे दौर की बातचीत विफल होने के बाद सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि हड़ताल जारी रही तो ट्रकों की परमिट रद्द की जा सकती है। दूसरी ओर ट्रक ऑपरेटरों ने तुर्की-ब-तुर्की जवाब देते हुए कहा है कि सरकार परमिट रद्द करती है, तो प्रतिक्रियास्वरूप यदि कुछ भी होता है तो इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। तो सवाल यह है कि जिन समाधानों की ओर दोनों पक्ष बेहद खराब स्थिति उत्पन्न होने के बाद ही बढ़ने का फैसला लेते हैं, उन समाधानों की ओर जल्दी बढ़ने में पिछले अनुभवों से कोई सीख क्यों नहीं लेते? क्या हम इसके लिए अभिशप्त हैं कि जब तक त्राहिमाम की स्थिति न उत्पन्न हो जाए, तब तब दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अडे़ रहेंगे? पिछले वर्षों की हड़तालों से सीख लेते हुए दोनों पक्ष कोई ऐसा विवेकसम्मत तरीका क्यों नहीं विकसित करते कि समय-समय पर सरकार और ट्रक ऑपरेटर अपने-अपने पक्षों पर विचार-विमर्श करके बीच का कोई रास्ता निकालें जिससे हड़ताल जैसे फैसले की नौबत ही न आए? मगर अब तक यही देखा गया है कि देश में किसी भी तरह की हड़ताल से आगामी स्थितियों को बेहतर बनाने के अनुभवों और तरीकों पर कोई विचार नहीं होता।

1 टिप्पणी:

Jimmy ने कहा…

bouth he aacha post kiyaa aapne janaab

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