सोमवार, जनवरी 05, 2009

ठिठुरते गणतंत्र के बेखबर अधिनायक


घने कोहरे और हाड़ कंपाती ठंड ने संपूर्ण उत्तर भारत में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। रेलगाडि़यां घंटों विलंब से चल रही हैं और हवाई यातायात पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। कड़कड़ाती ठंड से सबसे ज्यादा जो वर्ग प्रभावित होता है, वे हैं दैनिक वेतनभोगी मजदूर, रिक्शाचालक और छोटे-मोटे धंधों में लगे हुए लोग। रोजी-रोटी की जुगाड़ में घर से निकलना वैसे तो तमाम लोगों की मजबूरी है, लेकिन ऐसे मौसम की वजह से उन लोगों की सामने दारुण स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिन्हें मौसम की वजह से काम नहीं मिलता। रोजी-रोजगार नहीं मिलता, सवारियां नहीं मिलतीं। इत्तफाक से पहले आर्थिक तरक्की की चकाचौंध और अब वैश्विक मंदी की वजह से लोक कल्याणकारी भूमिका को भूलती जा रही सरकार को शायद इसका अंदाजा भी नहीं है कि देश के अधिसंख्य आमजनों पर भयंकर ठंड की मार किस कदर कहर बनकर टूटी है। कंपकंपाती ठंड के कारण कई राज्यों में दर्जनों लोगों की मौत के बावजूद सरकारी स्तर पर इसको लेकर संवेदनशीलता और व्यवस्था की जगह दैनंदिन के कार्य निपटाने जैसा प्रशासनिक रवैया दुखद है। अपर्याप्त कपड़े और भूख की वजह से होनेवाली मौतों को बीमारी की वजह से होने वाली मौत बताकर सरकार संविधान प्रदत्त जीने के अधिकार की रक्षा से पल्ला झाड़ लेती हैं।

इस कंपकंपाती ठंड का बुरा असर गेहूं, चना, सरसों और अन्य फसलों पर भी पड़ने की आशंका है, जिसके कारण पिछले दिनों पैदा हुआ खाद्यान्न संकट और गहरा सकता है। यह सच है कि प्रकृति पर सरकार का या हमारा कोई अख्तियार नहीं है, मगर किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय उससे निटपने की हमारी तैयारियां लचर और नाकाफी साबित होती रही हैं। चाहे गुजरात और कश्मीर में आए भयंकर भूकंप का मामला हो या हाल में आई बिहार में बाढ़ हो-अन्य देशों के मुकाबले हमारी एजेंसी बेहतर ढंग से प्रतिकूल स्थितियों से नहीं निपट पाती हैं। इन दिनों आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंतित सरकार को आपदा से निपटने वाली एजेंसी और उसके लिए जरूरी संसाधनों के इंतजाम की ओर भी गहराई से सोचने की जरूरत है। दूसरे देशों की तरह सामाजिक सुरक्षा को लेकर अपने यहां बेहतर ढांचे और संसाधन जुटाने को लेकर सरकार को संवेदनशील और कारगर कदम उठाने की जरूरत है। ताकि प्रतिकूल मौसम का हो या भूख से होने वाली मौतें, सरकारी स्तर पर आम जनता के बीच यह भरोसा बहाल करना बेहद जरूरी है कि किसी भी तरह की असुरक्षा के समय उसे असहाय नहीं छोड़ा जाएगा।

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

aap jese sabhi sajag ho jayenge tabhi kuvhh hoga lage raho