ब्रिटेन में रहनेवाली नाईजीरियन मूल के अश्वेत कवि बेन ओकरी 1959 नाईजीरिया में पैदा हुए। बचपन लंदन में बीता, फिर नाईजीरिया लौट गए। थोड़े समय बाद ही स्कालरशिप लेकर ब्रिटेन पढ़ने के लिए आ गए...और फिर यहीं बस गए। ब्रिटेन के अनेक विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि, एक उपन्यास के लिए 1991 में बुकर पुरस्कार, 2001 ब्रिटिश सरकार के ओबीई से सम्मानित। इनके अलावा और अनेक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार।
अंग्रेजी में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक और निबंध लेखन। अनेक पुस्तकें प्रकाशित। नाईजीरिया के गृहयुद्ध को विषय बनाकर कई उपन्यास लिखे। हाल में उनके लिखे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव संबंधी संस्मरण (संदर्भ-बराक ओबामा) खास चर्चित रहे। इन दिनों ब्रिटेन में रहते हैं। हमारे अग्रज आदरणीय यादवेंद्र जी ने इसे उपलब्ध कराया है और ख्वाब का दर के लिए हिंदी में अनूदित किया है।
अंग्रेजी में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक और निबंध लेखन। अनेक पुस्तकें प्रकाशित। नाईजीरिया के गृहयुद्ध को विषय बनाकर कई उपन्यास लिखे। हाल में उनके लिखे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव संबंधी संस्मरण (संदर्भ-बराक ओबामा) खास चर्चित रहे। इन दिनों ब्रिटेन में रहते हैं। हमारे अग्रज आदरणीय यादवेंद्र जी ने इसे उपलब्ध कराया है और ख्वाब का दर के लिए हिंदी में अनूदित किया है।
स्वप्न की संतानें
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बेन ओकरी
(अगस्त, २००३ में द गार्जियन में प्रकाशित यह कविता मार्टिन लूथर किंग के प्रसिद्ध भाषण आइ हैव ड्रीम की चालीसवीं सालगिरह पर लिखी यह कविता उन्हें ही समर्पित है। )
उन्हें होगा नहीं अब सब्र
जब तक और ज्यादा न दिया जाए उन्हें
क्योंकि ये संतानें हैं स्वप्न की
ये स्वप्नदर्शी बच्चे
सूरज के सभी रंगों के पहने हैं परिधान
श्वेत और अश्वेत
और वर्णक्रम के सभी रंगों के बच्चे
और स्वप्न के सभी रंगों के बच्चेउ
न्हें होगा नहीं अब सब्र
जब तक और ज्यादा न दिया जाए उन्हें
पर और ज्यादा आखिर चाहते क्या हैं वे?
वे चाहते हैं यह धरती और सितारे
और लुभावना स्वर्ग भी
वे चाहते हैं आजाद होना
वे चाहते हैं आजाद होना
और वे तमाम संभावनाएं भी
जिसे जिसे आजादी देती है जन्म
और साथ ही आजादी की रौब
और अंधेरे खतरे भी
वे चाहते हैं उन्मादी ढंग से प्यार करना
वे नहीं चाहते बंध जाना किसी परिभाषा की गिरफ्त में
वे नहीं चाहते बंध जाना किसी परिभाषा की गिरफ्त में
वे नहीं चाहते खींच दी जाए कोई सीमा रेखा उनके सामने
वे नहीं चाहते याचना करें
मानवीय विस्तार के रास्ते
वे चाहते हैं पूरा-पूरा हक सर्जना का
वे चाहते हैं पूरा-पूरा हक सर्जना का
पृथक दिखने का अप्रत्याशित, उद्दाम या असाधारण होने का
और सीमाओं को जब चाहें लांघ आने का
वे नहीं चाहते अनुकंपा या बंधना सोच के किसी चौखट में
वे नहीं चाहते अनुकंपा या बंधना सोच के किसी चौखट में
वे मुखालफत करना चाहते हैं
खुद अपने खिलाफ भी
वे चाहते हैं खुशी से झूमें, नाचें-गाएं
उन सबके लिए जो खुश नहीं हुए कभी
इस धरती पर आगमन से उनके
वे चाहते हैं सृष्टि के सर्वोत्तम धनों को प्यार करना
संगीत में, कला में और स्वप्न में भी
वे आजादी से हासिल
वे आजादी से हासिल
सबसे ऊंची मंजिल प्राप्त करना चाहते हैं
बगैर किसी बहस-मुबाहिसे के
वे अचानक प्रकट होकर विस्मित कर देना चाहते हैं
जैसे कर देता है कोई देवदूत
वे हक्का-बक्का कर देना चाहते हैं सबको
चुटकी बजाते ही जैसे कर देते कई बार असाधारण जन
वे चाहते हैं पराजित हो जाना हिम्मत हारे बगैर
वे चाहते हैं पराजित हो जाना हिम्मत हारे बगैर
जैसे खोजियों को स्वीकार करनी पड़ती है कई बार नियति
वे चाहते हैं तलाश करना कुछ नया
पूरी सदाशयता से जैसे करते हैं धुनी तीर्थयात्री
उनके लिए होता है न तो बहुत ज्यादा कुछ
और न ही बहुत कम-
सपने देखना यदि यह संभव हो सके मनुष्य से
और पूरा करना उस निस्सीम जीवन के अथाह जादू वाले स्वप्न
इसीलिए तो वे छोड़ देते हैं निर्बिंध आजादी को
कि गाए हर दिन अपने बदलाव का गीत
वे ही हैं इस सृष्टि के नए योद्धा और अधिपति
अब तक के समय की पीड़ा से
और इतिहास के प्रणय से उद्भूत सर्वश्रेष्ठ उत्साह हैं वे-
वे संतानें हैं स्वप्न की
वे संतानें हैं स्वप्न की
और मन या फौलाद की नहीं है बनी ऐसी कोई कारा
जो थामकर नियंत्रित कर सके
अब उन सबके वेग को
धक्के मार कर धराशायी कर दिए हैं उन्होंने लौह कपाट
वे सब के सब
संतानें हैं स्वप्न की।
-हिंदी अनुवाद - यादवेंद्र
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