सोमवार, दिसंबर 29, 2008

अलग-अलग रहने वाले अभिशप्त

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के खंडित जनादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार बनाने के लिए मतदाताओं ने किसी एक पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं दिया है। नेशनल कांफ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है, जबकि दूसरे नंबर पर पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी यानी पीडीपी रही। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस में जिस तरह के राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं, उससे इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन सरकार बनने के आसार नजर आ रहे हैं। एनडीए का हिस्सा रही नेशनल कांफ्रेंस, भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने से पहले ही इनकार कर चुकी है। दस सीटें अन्य दलों को मिलने के बाद निर्दलीय विधायक जिस तरह उभरकर आए हैं, उससे सरकार बनाने में उनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।


अमरनाथ जमीन विवाद को लेकर चले लंबे संघर्ष को हालांकि भाजपा ने जनता का स्व:स्फूर्त संघर्ष बताया था। मगर जम्मू के चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया कि अमरनाथ कार्ड खेलने से भाजपा को फायदा हुआ। वहीं घाटी में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने जिस नीयत से भावनात्मक मुद्दों को उछाला उसमें काफी हद तक उन्हें सफलता मिली। जम्मू-कश्मीर की जनता नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी तीनों को सत्ता सौंपकर आजमा चुकी है। खंडित जनादेश के बाद राज्य में जो गठबंधन सरकार बनेगी, वह निश्चय ही अपने दम पर सरकार बनाने वाली पार्टी की तरह निरंकुश रवैया अख्तियार नहीं कर पाएंगी। दूसरी ओर अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बावजूद रिकॉर्ड संख्या में लगभग 62 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके उन्हें कड़ा संदेश दिया है कि व्यापक जनमत की आस्था लोकतांत्रिक राजनीति में है। प्रतिकूल मौसम और अब तक के इतिहास में सबसे लंबी चुनाव प्रक्रिया में सात चरणों में मतदान के कारण इतने बड़े पैमाने पर मतदान की उम्मीद कम थी, लेकिन राज्य की जनता तमाम आशंकाओं को ध्वस्त कर दिया। मुजफ्फराबाद चलो और हमारी मंडी रावलपिंडी का नारा देने वाले अलगाववादियों को जनता ने स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि उनकी आस्था लोकतांत्रिक राजनीति में नहीं है, तो मुख्य धारा की राजनीति से बाहर रहने के लिए अभिशप्त होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि जम्मू-कश्मीर के मतदाताओंने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में जैसा उत्साह और विश्वास व्यक्त किया है, राज्य की गठबंधन सरकार उस पर खरे उतरने का पूरा प्रयत्न करेगी।

1 टिप्पणी:

स्वप्निल ने कहा…

vah parasar ji,
aapka blog se to koi bhi apna edit page bana sakata hai

khae me kisi jaroorat mand patrkar bandhu ko aapke blog se matter "churane"