रविवार, दिसंबर 21, 2008

क्रिकेट खेल लेने से मुर्दे जी उठेंगे क्या?

मुंबई में हुए आतंकी हमले की आंच के कारण आठ जनवरी से उन्नीस फरवरी तक खेले जाने वाले क्रिकेट सीरीज के लिए टीम इंडिया का पाकिस्तान दौरा रद्द होने से कूटनयिकों को शायद हैरत नहीं हुई होगी। क्योंकि इसकी उम्मीद तभी से धूमिल नजर आने लगी थी, जब खेल मंत्री एमएस गिल ने साफ शब्दों में कहा था कि पाकिस्तान की जमीन का उपयोग जब भारत में आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा हो, तब उनके साथ क्रिकेट मैच खेलने का यह सही वक्त नहीं है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या यह मुमकिन है कि आतंकियों की एक टीम बहुत सारे लोगों को भारत में मारने आए और उसके तुरंत बाद भारतीय क्रिकेट टीम खेलने के लिए वहां का दौरा करे?


भारत सरकार के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यानी पीसीबी ने इस दौरे को बचाने के लिए पूरा प्रयत्न किया और किसी तीसरे स्थान पर मैच कराने तक का प्रस्ताव रखा, मगर भारत सरकार के बेहद कड़े रुख के बाद बीसीसीआई पाकिस्तान के साथ फिलहाल क्रिकेट संबंध जारी रखने के पक्ष में नहीं है। गौरतलब है कि इस दौरे में भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट टीम के बीच तीन टेस्ट मैच, पांच एकदिवसीय मैच और एक ट्वेंटी-20 मैच खेलना था।


आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ सहित पूरी दुनिया में भारत जिस सक्रियता से पाकिस्तान की करतूतों को लेकर कूटनयिक स्तर पर अभियान चला रहा है, उसके बाद वैसे भी सामान्य संबंध की गुंजाइश नहीं बचती है। क्योंकि यदि भारत खुद पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंध बनाकर रखता है, तो बाकी देशों को वह आखिर किस नजरिये से पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कह पाएगा? इस बीच पीसीबी की पाबंदी झेल रहे इंजमाम-उल-हक ने बीसीसीआई से दौरे रद्द नहीं करने को लेकर आग्रह किया था। बकौल इंजमाम-उल-हक, भारतीय टीम के पाकिस्तान दौरा रद्द होने से इस उप महाद्वीप में क्रिकेट को बहुत बड़ा झटका लगा है। दूसरी ओर बेहद खस्ताहाल पीसीबी को टीम इंडिया का दौरा रद्द होने के कारण लगभग दो करोड़ डॉलर की संभावित आय से हाथ धोना पड़ सकता है।


2004 में 15 साल बाद जब टीम इंडिया ने पाकिस्तान का दौरा किया था, तो पीसीबी को लगभग दो करोड़ डॉलर की आमदनी हुई थी। हैरत की बात है कि पीसीबी और पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पुराने खिलाड़ी महज अपने लाभ को ध्यान में रखकर तब भी टीम इंडिया से दौरे की बात कर रहे हैं, जब शुरू से ही पाकिस्तान की तमाम सरकारें भारत के साथ सौहार्द और सौजन्य के तमाम दरवाजे बंद करती आई है। आतंकवाद को लेकर भारत सरकार की अपनी चिंताएं हैं और उन चिंताओं में देश का हर नागरिक सरकार के साथ है, चाहे वह जिस भी पेशे से जुड़ा व्यक्ति हो। ऐसे माहौल में टीम इंडिया से दौरे के लिए पीसीबी प्रमुख के इसरार का इसलिए भी कोई मतलब नहीं है, क्योंकि बाकी तमाम मामलों में जब संबंध खराब हों, तो महज क्रिकेट खेलने से देशों के संबंधों में सुधार नहीं आता। अर्थव्यवस्था के स्तर पर बेहद बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए टीम इंडिया का दौरा रद्द होना चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन भारत की नहीं। आतंकियों पर कार्रवाई को लेकर जब तक भारत सरकार मुतमईन नहीं होती, पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के संबंध का कोई खास मतलब नहीं होगा।