कठिन है रहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो/बहुत बड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो/तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है/मैं जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो
मंगलवार, दिसंबर 16, 2008
क्यों अमेरिकी जनता दुनिया के नफरत की शिकार होती है?
राष्ट्रपति पद से हटने के बाद अपने आखिरी इराकी दौरे में जॉर्ज बुश के सामने तब विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई, जब अति विशिष्ट सुरक्षा व्यवस्था के बीच एक इराकी पत्रकार ने उन पर दो जूते फेंके। इराक के अल बगदादिया टीवी के पत्रकार मुंतजर-अल-जैदी ने पहला जूता फेंकते समय जार्ज बुश से कहा कि यह इराकी लोगों की ओर से आपको आखिरी सलाम है और दूसरा जूता फेंकते समय कहा कि इराक की विधवाओं, अनाथों और मारे गए लोगों की ओर से है। इससे जाहिर होता है कि इराक के लोगों में बुश प्रशासन की नीतियों को लेकर किस हद तक नाराजगी है और लोग अपनी खराब हालात के लिए वे सीधे तौर पर उन्हें जिम्मेवार मानते हैं। इससे पहले भी जार्ज बुश की इराक नीति को लेकर दुनिया भर के लोग विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं, मगर उन्होंने इसकी बहुत अधिक परवाह नहीं की। नतीजतन तकरीबन छह लाख से अधिक मासूम इराकी नागरिक अब तक वहां मारे जा चुके हैं। झड़पों और आए दिन होने वाले बम विस्फोट में रोज लोग मारे जा रहे हैं और इस परिस्थिति के कारण अमेरिका चाहकर भी अपने सैनिकों को वापस नहीं बुला पाया। लंबे समय से घर न लौट पाने के कारण इराक में तैनात अमेरिकी सैनिकों के बीच गहरी निराशा है और जार्ज बुश उनके परेशान परिजनों को कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। इराक मामले में बुश प्रशासन कई मोर्चे के साथ-साथ इस मोर्चे पर भी विफल रहा कि दूसरे देशों को वे वहां अपनी सेना भेजने के लिए राजी नहीं कर पाए, जिससे अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ नहीं हो पाया। दूसरी ओर इराक पर हमले के लिए पेंटागन ने जो-जो कारण गिनवाए, वे एक-एक करके तथ्यहीन साबित होते चले गए। इराक पहुंचकर जार्ज बुश ने बयान दिया है कि इराक में युद्ध अभी भी खत्म नहीं हुआ है और संघर्ष अभी भी जारी रहेगा। अहम बात यह है कि जार्ज बुश की यात्रा और ताजा बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी इराक यात्रा से एक दिन पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स, जो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा के मंत्रिमंडल में भी रक्षा मंत्री बने रहेंगे, ने कहा था कि अमेरिकी सैनिकों का इराकी मिशन अपने आखिरी चरण में है। इससे अमेरिका की इराक नीति को लेकर बदलाव के संकेत मिले थे, मगर बुश के बयानों से स्पष्ट हुआ कि वे अपने पुराने रुख पर ही अड़े हुए हैं। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री की इस राय से असहमत होना असंभव है कि जार्ज डब्ल्यू. बुश के शासन में दुनिया में अमेरिका की छवि जितनी धूमिल हुई, उतनी किसी भी दौर में नहीं हुई और इतिहास के किसी दौर में शायद ही कभी लोगों ने अमेरिका को इतना इतना नापसंद किया हो। याद रहे कि 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण के समय जब ज्यादातर अमेरिकी नेता लोगों का सामना करने से बच रहे थे, तब बराक ओबामा ने सार्वजनिक मंचों पर जोरदार तरीके से इसकी निंदा की थी। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि बराक ओबामा, बुश प्रशासन की इराक नीति की समीक्षा करेगा, जिससे दुनिया के सामने अमेरिकी की अलग छवि जाएगी।
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